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“ओह, तुम्हारा चेहरा कितना चमक रहा है! तुम सुंदर लग रहीं हो । क्या बात है, हर्षा?" रहस्यमयी ढंग से मुस्कुराते हुए
भैरवी चक्रवर्ती ने पूछा। कंधे पर लटके बैग को मेज पर रखकर वह मुस्कराने लगी "तुम ओडिशा कब गई थी ? तुम तो कह रही थी कि नहीं जाओगी, "भैरवी ने पूछा "क्या तुम्हारा कोई जरूरी काम था? तुमने सूटकेस भी नहीं लिया? या तुम कहीं और गई थी?
"
"नहीं, मैंने अपना सूटकेस नहीं लिया था।"
'क्या तुम्हारे विवाह के
लिए अरजेंट घर से बुलावा आया था? हाउ इज ही ?"
भैरवी का क्या आशय था कि
उसकी अरजेंट शादी के बुलावा कहने से ? हर्षा घबराने लगी। भैरवी
क्यों इतनी जांच-पड़ताल कर रही है? क्या उसे कोई खबर मिली है कि वह
अल्बर्टो के साथ बाहर गई थी? या उसके चेहरे की चमक यह बात बता रही है ? नहीं, हर्षा ने तो अपनी सहेलियों को
अपने अतीत के बारे में कभी
नहीं बताया था।वे तो घूमते-फिरते है, अपने बॉय फ्रेंड के साथ।उसने
सब-कुछ देखा है, मगर उसने कभी गलत टिप्पणी नहीं की थी, न ही उन पर उनकी राय जताई थी। वह हमेशा यह ही सोचती थी कि
वे इस उम्र में अपने जीवन का
आनंद नहीं लेंगे तो कब लेंगे? हालांकि, हर्षा उनसे दो साल बड़ी होगी, मगर उसके अनुभव ने उसे बुद्धिमान बना दिया था। मगर उसने अपने
सहपाठियों की प्रेम कहानियों के बारे में जानने में कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई।
क्या किसी पड़ोसी ने उसे उस
दिन अल्बर्टो के साथ बाहर जाते देख तो नहीं लिया? या वह अनावश्यक डर रही है ? बात टालने के लिए उसने पूछा: "और अपनी छुट्टियां कैसे बिताईं?"
"बहुत अच्छे से। पूरे
वर्ष का आनंद दुर्गा पूजा
में मिलता है। मेरी मामी टेक्सास से आई थी। मैं उसे बहुत समय के
बाद मिली। मेरे सभी रिश्तेदारों
से मुलाक़ात हो गई। मुझे बहुत सारे उपहार भी मिले हैं। मैं तुम्हें बाद में दिखाऊंगी। इतनी मौज-मस्ती! घर में कौन रुकता था? हमेशा पंडालों में समय बीतता था। हमारा पंडाल विभिन्न अनाजों से सजाया गया था। "
"नवीना अभी तक
वापस नहीं आई? तुम घर से वापस कब आई? "
चाय बनाते हुए भैरवी ने कहा, “ मैं कल लौटी। माँ
मुझे लक्ष्मी पूजा तक रखना चाहती थी, मगर कान्हा ने ‘कम सून’ ‘कम सून’ एसएमएस भेजें तो मैं
वापस आ गई। नवीना आज दस बजे
पहुंची। अब वह शॉपिंग सेंटर गई हैं, कुछ चीजें खरीदने के लिए, जिन्हें वह अपने घर पर भूल आई है। मैंने उसे दोपहर में भोजन के पैकेट लाने के लिए कहा है। मगर मुझे नहीं पता था कि तुम आओगी। कोई
बात नहीं, तीनों मिलकर खा लेंगे। तुम
क्या कहती हो?
"
भैरवी दो कप चाय लेकर आई। "क्या तुम संदेश (कलाकंद) खाओगी ?"
"नहीं, बाद में खाऊँगी । अभी खाने से चाय का
स्वाद खराब हो जाएगा । चाय पीकर नहा लेती हूँ। मैं बहुत थक गई हूं। "
" मैं सच बोल रही हूँ, तुम बहुत सुंदर लग रही हो। तुम्हारे गाल चमक रहे हैं। क्या तुम पार्लर गई थी? "
"मुझे पार्लर जाने का समय कब मिला ?" भैरवी के सवालों से बचने के
लिए जल्दी-जल्दी चाय पीकर
अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई।
पता नहीं क्यों, उसके दिल की धड़कन काफी बढ़ गई थी। क्या उसके
पूरे शरीर से अभी भी अल्बर्टो की गंध आ रही थी ? भैरवी कह रही थी,उसका चेहरा चमक रहा है। उसने
दर्पण में देखा; उसके शरीर के किन-किन हिस्सों
में खुशी चमक रही थी ? किस हिस्से से दिखाई दे रहा है, उसके शरीर में सदा बहते हुए झरना का प्रतिबिंब? वह खुद को आईने में देखकर शर्मिंदा हो गई थी। आश्चर्य की
बात है, क्या कोई खुद को देखकर शर्माता है?
शावर के नीचे खड़े होकर, वह अपने चेहरे की चमक और रंग को दूर करना चाहती थी। वह पुरानी हर्षा होना चाहती
थी। पुरानी हर्षा,जिसंकी आँखें सात आकाशों के बादलों से घिरी हुई हो। जिनके होंठ पत्थर जैसे कठिन हो। जिसके गालपर लंबे समय से भंवरी नहीं पड़ी हो। हर्षा दर्पण के सामने खड़ी थी। दर्पण के भीतर विषाद की देवी थी, आधी मृत और आधी जीवित।
शॉवर के स्पर्श से जैसे बहने लगा था अल्बर्टो और हर बूंद उसे बना रही थी पत्थर से औरत । हर्षा को डर लगने लगा था कि उस सुखानूभूति से उसकी मुक्ति नहीं है। उसने शावर बंद कर अपना शरीर पोंछ लिया। दर्पण के सामने जैसे नग्न देवी की
खड़ी थी। उसने झुकी नजरों से अपने कपड़े बदले और वह बाथरूम से बाहर आ गई।
इस बीच में नवीना लौट आई थी। हर्षा को थोड़ा डर लगा कि कहीं नवीना भी उससे भैरवी की
तरह सवाल तो नहीं पूछेगी। क्या वह उसके चेहरे पर टिप्पणी तो नहीं करेगी? उसने जानबूझ कर खुद के चेहरे को लटका दिया। ऐसा लग रहा था अभी तक अपने
शरीर पर टपकती पानी की बूंदें
रोमांटिक गति से गिर रही होगी।, वह अपनी सूखानुभूति को कहां छुपाएगी ? जब उसका मन खुशी से गुनगुनाता हो।
नवीना ने हर्षा को जल्दी आने के लिए कहा क्योंकि उसे बहुत भूख लगी थी। " मैं भोजन करते ही सो
जाऊँगी, मुझे बहुत नींद आ रही है।"
हर्षा ने बाल सूखाकर अपने कपड़े धूप में सूखने रख दिए। इस बीच नवीना और भैरवी ने खाना खा लिया। नवीना अपने घर से विभिन्न प्रकार की मिठाई और नमकीन
लाई थी। भैरवी ने 'संदेश' लाया था। उन्होंने होटल से मंगाए गए पैकेटों को तीन भाग
में बांट दिया। हर्षा बहुत शर्मिंदा थी, क्योंकि वह अपने घर से हमेशा की तरह सभी विशिष्ट ‘आरिशा पीठा’,, 'कोरा' या 'छेना झिली' नहीं लाई थीं।
नवीना को 'शाल उखुडा' बहुत अच्छे लगते
थे। उसने पूछा, "क्या तुमने इस बार 'शाल उखुड़ा' नहीं लाया, हर्षा?"
"नहीं, मैं बहुत व्यस्त थी। मेरी यात्रा अर्थहीन रही। "
" तुम तो इस बार जाने वाली नहीं थी, फिर तुम क्यों गई? क्या कोई घर में बीमार है? "
हर्षा को लगा कि जैसे
वह इस बार बच गई।
भैरवी ने उससे नहीं पूछा, "हू इज ही ?"
"माँ बीमार है; पिताजी ने फोन किया था कि मां के हाथ गर्म पानी से जल
गए थे। "
"ओह! क्या तुम
पुरी में हर्बल उपचार करवाकर
आई हो ?
"
" ऐसा क्यों पूछ रही
हो ? भैरवी ने भी थोड़ी देर पहले यही बात पूछी थी। इतने कम
समय में हर्बल उपचार हो सकता है? मैं तो ठीक से स्नान नहीं कर सकी, मैंने ट्रैवल एजेंट से बड़ी मुश्किल से टिकट का जुगाड़ किया। दुर्गा-पूजा के लिए गाड़ियों में भयंकर भीड़ है? "हर्षा को झूठ बोलना पसंद नहीं था, मगर उसके पास और कोई
रास्ता भी नहीं था।
नवीना और भैरवी
अल्बर्टो के बारे में जानती थी। मगर वे सोच भी नहीं
सकती थी कि अल्बर्टो के साथ उसकी
घनिष्ठता इतनी ज्यादा बढ़ गई है। वे केवल इतना जानती थी कि
दर्शन-शास्त्र के इस प्रोफेसर से हर्षा की
पुरी में मुलाकात हुई थी और उन्हें भारतीय पौराणिक कहानियां सुनना अच्छा लगता है। ऐसे भी हर्षा ने कमरे में अल्बर्टो के बारे में
कभी भी बातचीत नहीं की। मगर वे सोच रही थी कि विष्णु एक दिन हर्षा का मन अवश्य जीतेगा, विष्णु इतना बुरा आदमी नहीं था। मगर उन्हें नहीं पता था कि हर्षा
विवाहित है, उस आदमी के साथ संबंध अब भी है। मगर वह यह
नहीं चाहती थी कि विष्णु उसे लेकर सपने देखे, जो कभी भी पूरे नहीं हो सकते हैं।
भोजन करने के बाद जब वे आराम करने गईं, तभी मोबाइल
पर एक एसएमएस आया। तीनों दौड़कर मोबाइल देखने गई। मैसेज हर्षा के मोबाइल में आया था अल्बर्टो का। उसका दिल धड़कने लगा।कुछ घंटे पहले ही वे एक-दूसरे से अलग हुए थे, फिर उसे एसएमएस भेजने की क्या आवश्यकता थी ? हर्षा के चेहरे के भाव अचानक बदल गए? यह देखकर भैरवी ने पूछा: "क्या तुम्हारे ‘वुड बी’ का मैसेज है ? तुमने तो हमें अपने उसके बारे में नहीं बताया। "
" छोड़ न, बकवास। क्या तुमने नहीं
सुना कि मेरी मां की बीमारी के कारण मैं अपने घर गई थी ? "
" सॉरी यार, गुस्सा मत हो," भैरवी ने कहा। " मेरे मन में यह धारणा थी कि शादी के लिए तुम्हें बुलाया होगा। तुम इतनी जल्दी वापस क्यों आ गई? थोड़े दिन रुक जाती। "
"मेरी मां की
सहायता करने के लिए मेरी बुआ है।इसके अलावा, इधर कक्षाएं लगेगी, सोचकर मैं वापस आ गई। "
भोजन करने के बाद नवीना 'वज्रासन' में बैठी। वह खाना खाने के बाद दस मिनट तक इस आसन में बैठती थी। भैरवी बिस्तर पर बैठकर अख़बार के पन्ने पलट रही थी। हर्षा ने अल्बर्टो का
मैसेज पढ़ा: "माय हाना, आई केन नॉट स्टॉप थिंकिंग अबाउट यू।आई एम
ड्रीमिंग विथ यू। प्लीज टेक मी एंड शॉ मी यौर फ्लोवरी बेड। आई वांट टू बी देयर फॉर
एवर।" उसके मन में अजीब सवाल उठने लगे। क्या यह वही अल्बर्टो है? बौद्ध-अनुयायी? , संयम के बारे में बात करने वाला आदमी?जो
कहता था, "आई मेक लव विथ पार्सीमोनी?" कुछ हद तक ठंडा। अल्बर्टो कैसे इतना अचानक बदल गया। जैसे कि मायामोह
में फंस गया हो। जिसके सारे तर्क इन अनुभवों के सामने अर्थहीन
हो गए हो ?
हर्षा ने ध्यान से इधर-उधर देखा कि कोई उसे देख तो नहीं रहा है। फिर चुपचाप
मोबाइल को तकिया के नीचे रखकर सो गई। उसने लगभग चार से पांच घंटे से बस की यात्रा की थी, वह सोच रही थी, घर जाते ही सो जाएगी। मगर अल्बर्टो के मैसेज ने उसकी नींद
गायब कर दी। जब वह मिलेगा, तो वह उसे ऐसे मैसेज भेजने के
लिए मना कर देगी। “ दोनों लड़कियां क्या सोचती
होगी, पता नहीं ? वे फिर उसे अलग ढंग से देखेंगे।
"
उन्हें आज तक मालूम
नहीं था कि
हर्षा शादीशुदा है, वह अपने पति से रुष्ट होकर यहाँ आई है। जब उन्हें इसके बारे
में पता चलेगा, तो क्या वे उसे अच्छी नजर से देखेंगे? अल्बर्टो और विष्णु से उसका
नाम जोड़कर कानाफूसी नहीं करेंगी? क्या वे उसका चरित्र-हनन नहीं
करेंगे?
अल्बर्टो अभी तक उसके आकर्षक जादू से बाहर नहीं आ पाया था। क्या वह उसके उत्तर की प्रतीक्षा कर रहा था? क्या वह प्रतीक्षा करते-करते सीधे यहाँ आ जाएगा? वह मोबाइल को लेकर चुपचाप
बाथरूम में चली गई। वह इतना डर क्यों रही है ? ये दोनों लड़कियां सभी की उपस्थिति में फोन पर बहुत आसानी से
एसएमएस करती
है और प्रेमालाप करती है।
हर्षा ने अपना मोबाइल चालू किया।
तुरंत एक और संदेश आ पहुंचा:
हम कब मिल सकते हैं, हाना? " उसने फिर से मोबाइल बंद कर दिया। अगर मैसेज बार-बार आते रहे, तो वह उन दो लड़कियों को
क्या जवाब देगी? "कौन तुम्हें बार-बार संदेश भेज रहा है?" हर्षा बहुत परेशान हो गई थी और
वह मोबाइल के साथ बाथरूम से चुपचाप लौटी और, इसे तकिया के नीचे रखकर सो गई, जैसे कुछ भी घटित नहीं हुआ हो।
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नींद खुलते-खुलते शाम हो चुकी थी। भैरवी और
नवीना अभी भी सो रही थीं। हर्षा ने तकिया के नीचे से मोबाइल निकाला। अल्बर्टो के मैसेजों का जवाब नहीं देने की वजह से उसे बहुत बुरा लग रहा था। पता नहीं वह इसे कैसे
लेगा? वह अगली मुलाक़ात के समय के बारे में पूछ रहा था। उसका कम से
कम उत्तर तो देना चाहिए था।
वह उसकी चुप्पी पर नाराज भी हो सकता है। जिस क्षण उसने अपना मोबाइल खोला, उसके लिए एक मैसेज आया हुआ था :
" आई केन नॉट वेट। आई नीड़ यू। आई एम वेटिंग फॉर
यू।" शाम को साढ़े पांच बजे उसने मैसेज भेजा था। साढ़े सात होने वाले थे। हे भगवान! अब वह अल्बर्टो को कैसे शांत करेगी ? यदि वह इंतजार करते-करते थक-हारकर यहाँ आ गया तो ?
हर्षा ने उत्तर
भेजा: "मुझे बेहद अफसोस है कि मैं मोबाइल को
वाइब्रेशन मोड में रखकर सो
गई थी।नींद खुलने पर मुझे तुम्हारा एसएमएस मिला। चिंता
मत करो, हम निश्चित रूप से कल मिलेंगे।" मैसेज भेजने के बाद उसे थोड़ी राहत मिली।
उसने तीनों के लिए चाय
तैयार की और फिर भैरवी और नवीना को नींद से जगाया। जब वे चाय-नाश्ते कर रहे थे, तभी दरवाजे पर खटखट हुई। हर्षा के दिल की
धड़कन अचानक बढ़ गई। क्या यह अल्बर्टो था? हे भगवान! अगर वह पहुंच गया तो वह क्या करेगी?
नवीना ने उठकर दरवाजा खोल दिया। लांड्री वाले की छोटी बेटी भैरवी के इस्त्री किए कपड़े लाई थी। हर्षा को लगा कि वह बच गई ! उसे इतना डर
क्यों लग रहा था? उसे यह डर दूर करना पड़ेगा। अन्यथा वह अकेले कैसे जी पाएगी? उसे मां के शब्द याद आ गए कि उसके ससुराल वाले बार-बार फोन करके उसे ले जाना चाहते है। वे समाज में कहीं भी अपना चेहरा नहीं दिखा पा
रहे है। वह आदमी इस बीच सुधर गया है।
बोल रहे हैं कि क्या हर्षा की पढ़ाई इतनी ज़रूरी है, इससे अच्छा यह नहीं है कि उसे टाटा भेज
दें ।
"तुम क्या सोच रही हो, हर्षा ? मैं तुम्हें कब से डॉ॰ सोम की किताब देने के लिए कह रही हूं, मगर तुम जवाब नहीं दे रही हो। तुम ठीक हो न ?" भैरवी की बात सुनकर शेल्फ से पुस्तक निकालकर उसे दे दी।
"मुझे नहीं पता है कि
जिस दिन से तुम ओडिशा से
लौटी हो उस दिन से तुम्हें क्या हुआ
है? तुम कहीं खोई–खोई लगती हो।"
" ऐसा मत कहो, भैरवी। कभी-कभी बिना किसी कारण से बीमार और नीरस लगता हैं? आज पता नहीं क्यों, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। "
"तुम्हारा पश्चिमी शिष्य कहां है? आजकल वह दिखाई नहीं दे रहा है, क्या वह अपने देश वापस चला
गया है?
"
भगवान जाने, जब से भैरवी आई है, तब से उसके पीछे पड़ गई है। शायद
उसने पड़ोसी से कुछ सुना होगा, मगर उसकी हिम्मत नहीं हुई
कुछ पूछने की ।
"तुम बहुत अच्छी शिक्षिका हो।" नवीना हँसने लगी। " तुम्हें ये सारी बातें कैसे पता चली? क्या तुम दर्शन-शास्त्र में स्नातक हो ? "
"नहीं, मेरे दादा पंडित थे।"
"हे! हाँ, दर्शन तुम्हें विरासत में मिला है।यह तुम्हारे जीन में है।” भैरवी
ने पूछा, “ तुमने उसे इतना ज्ञान दिया हैं, क्या वह तुम्हें भविष्य में
लिफ्ट नहीं देगा?
"
"लिफ्ट, तुम्हारा क्या मतलब है? मैं नहीं समझी।"
"विदेश जाने का
मौका, और क्या हो सकता है?"
"हम अलग-अलग विषयों का अध्ययन कर रहे हैं, तो वह मुझे क्या लिफ्ट देगा ?"
"मगर आदमी बहुत
चालाक है," भैरवी ने कहा। "वह तुमसे डाटा लेकर अपने नाम से लेख
प्रकाशित करता है। हम दोनों बहुत पहले से इस बारे में जानते हैं, मगर हमने तुम्हें इसलिए नहीं
बताया कि तुम्हें कहीं बुरा न लग जाए।"
भैरवी कितनी संकीर्ण दिमाग की और ईर्ष्यालु लड़की
है! क्या
अल्बर्टो जैसे विजिटिंग प्रोफेसर के लिए लाइब्रेरी में किताबों की कमी है, जो वह हर्षा से डाटा लेकर लेख प्रकाशित करेगा ?
"मेरे मौसा ने कहा था कि कई
विदेशी भारतीयों के साथ ऐसी दोस्ती कर फायदा उठाते हैं। वे लोग बहुत चतुर होते हैं। "
भैरवी वास्तव में
ईर्ष्या कर रही
थी ? हर्षा को भैरवी का यह कथन वास्तव में पसंद नहीं आया। वह उसे कैसे समझा सकती है कि अल्बर्टो ने उसके अस्थिर,ध्वस्त,विध्वस्त मन
में शांति प्रदान की? अगर अल्बर्टो उसके जीवन में नहीं आया होता तो उसका मनुष्यता से विश्वास उठ जाता। वह कैसे घोषणा कर सकती है कि अल्बर्टो दरवाजे के बाहर खड़ा नहीं है, वह उसके हृदय के बहुत करीब पहुँच गया है? वह अल्बर्टो की मेधा, उसके प्यार, उसके लैटिन अमेरिकी रूप से प्रभावित थी। वह बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि अल्बर्टो उसका नहीं है। मगर उसने अकेलापन से उसे मुक्ति दिलाई थी। भैरवी से ऐसी बात की उम्मीद नहीं थी। पता नहीं क्यों, फिर से अजीब तरह का अकेलापन उसके भीतर छाने लगा। शायद वह इस अकेलेपन के साथ पूरा जीवन जीएगी।
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